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    Basti News: उत्तर प्रदेश प्रधानाचार्य परिषद का 47वां प्रान्तीय अधिवेशन

    उत्तर प्रदेश प्रधानाचार्य परिषद का 47वां प्रान्तीय अधिवेशन

    बस्ती। उत्तर प्रदेश प्रधानाचार्य परिषद के 47वें प्रान्तीय अधिवेशन का आयोजन 26 और 27 दिसंबर को अयोध्या स्थित महर्षि महेश योगी रामायण विश्वविद्यालय में होगा। इस अधिवेशन में प्रधानाचार्यों की लंबित समस्याओं के निस्तारण के लिए रणनीति निर्धारित की जाएगी। साथ ही, विद्यालयों की शैक्षिक स्थिति में गुणवत्तापूर्ण सुधार पर व्यापक विचार-विमर्श किया जाएगा।


    अधिवेशन में जनपद बस्ती से अधिकाधिक प्रधानाचार्यों की भागीदारी सुनिश्चित करने के उद्देश्य से मंगलवार को स्काउट भवन में परिषद की जनपदीय इकाई की बैठक आयोजित की गई। बैठक में संरक्षक मार्कण्डेय सिंह, डॉ. संजय सिंह, अध्यक्ष योगेश कुमार शुक्ल और मंत्री डॉ. हरेंद्र प्रताप सिंह ने सभी प्रधानाचार्यों से आह्वान किया कि वे 26-27 दिसंबर को अधिक से अधिक संख्या में अयोध्या पहुंचकर जनपद की मजबूत उपस्थिति दर्ज कराएं।


    बैठक में बताया गया कि संगठन का शीर्ष नेतृत्व निरंतर प्रधानाचार्यों की समस्याओं के समाधान के लिए सक्रिय है। संगठन की शक्ति बढ़ाने में सहयोग करना सभी की जिम्मेदारी है। कार्यकारी अध्यक्ष आज्ञाराम चौधरी, उपाध्यक्ष मनोज कुमार सिंह, डॉ. के.डी. द्विवेदी, डॉ. मनोज सिंह, डॉ. बृजेश कुमार पासवान, डॉ. सुरभि सिंह, धर्मेंद्र कुमार, संजय द्विवेदी, संयुक्त मंत्री डॉ. प्रमोद उपाध्याय, विजय कुमार, डॉ. अरुण मिश्र ने सुझाव दिया कि जनपदीय टीम एकजुट होकर समय पर अधिवेशन में उपस्थित हो।

    इसके अलावा, उन कार्यरत प्रधानाचार्यों के लिए निर्णायक प्रयास करने का निर्णय लिया गया, जिन्हें अब तक पद का समान वेतन नहीं मिला है। खैर इंटर कॉलेज, बस्ती के मामले में प्रधानाचार्य फैज आलम के साथ किसी भी प्रकार का अन्याय नहीं होने दिया जाएगा। जनपद की अन्य समस्याओं, जिनका समाधान प्रांतीय स्तर पर होना है, की ओर शीर्ष नेतृत्व का ध्यान आकर्षित किया जाएगा।


    बैठक में वीरेंद्र सिंह, कौशलेंद्र मिश्र, रामप्रीत यादव, सर्वेन्द्र नारायण द्विवेदी, विनोद प्रकाश वर्मा, संतोष कुमार पाण्डेय, सुधीर कुमार, विजयसेन सिंह, महेश सिंह, राजितराम वर्मा, राकेश शर्मा, रामबचन, रामसहाय, अरुण कुमार श्रीवास्तव, आलोक कुमार, इन्द्र कुमार सहित कई प्रधानाचार्य उपस्थित रहे।

    यह अधिवेशन प्रधानाचार्यों की समस्याओं और शिक्षा की गुणवत्ता सुधार के लिए महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है।

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